
मुंबई के दादाराव बिल्होरे का 16 साल का बेटा प्रकाश 11वीं के लिए अपनी पसंद के कॉलेज में दाखिला लेकर घर लौट रहा था। प्रकाश अपने कजिन राम के साथ बाइक पर पीछे बैठा था। जोरदार बारिश हो रही थी। सड़क पानी-पानी थी, गड्ढा आया, बाइक गिरी, राम को हेलमेट ने बचा लिया, प्रकाश नहीं बचा। परिवार ने बेटा खो दिया था, पर पिता दादाराव ने आंसू पोंछकर यहां से एक मुहिम शुरू कर दी। मकसद था- मेरा बेटा तो सुबह घर से निकला था। गड्ढे में गिरा और वापस नहीं आया। मैं किसी और के बेटे के साथ ऐसा नहीं होने दूंगा। अब हर बेटा घर लौटेगा। मैं सारे गड्ढे भर दूंगा।’ मायानगरी के गड्ढे भरने दादाराव अकेले निकल पड़े। उम्मीद थी कि बदलाव आएगा। बदलाव आया। दादाराव 3 साल में 550 से ज्यादा गड्ढे भर चुके हैं। मुंबई ने उन्हें नाम दिया है- पॉटहोल दादा।
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